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सपा ने निकाला तो तिलमिलाई रिचा सिंह, बोलीं- श्रीराम जी की प्रभुसत्ता को कहां-कहां से मिटाने का प्रयास करिएगा

लखनऊ। रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की खुलेआम खिलाफत करने वाली रिचा सिंह ने अपने निष्कासन को अनुचित बताते हुये पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रिचा सिंह ने लगभग सारा दिन सपा नेतृत्व के खिलाफ ट्विटर वार जारी रखी।

उन्होंने कहा “इस देश के संवैधानिक आत्मा रामचरितमानस के पक्ष में होने पर अगर मेरा राजनीतिक वनवास होता है तो यह मुझे सहज स्वीकार हैमूल समाजवादी और अवसरवादी छद्म समाजवादी में अंतर नहीं कर पायी समाजवादी पार्टी।”

उन्होंने कहा “संविधान की मूल प्रति पर उपस्थित मर्यादा पुरुषोत्तम की तस्वीर यह साफ करती है कि राम राज्य के सारे मूल्यों का समायोजन संविधान में किया गया है। प्रभु श्रीराम जी की प्रभु सत्ता को कहाँ कहाँ से मिटाने का प्रयास करियेगा। संभव नहीं है इस देश में।”

पार्टी नेताओं को धार्मिक उन्माद संबंधी बयानबाजी से बचने की चेतावनी संबधित सपा के पत्र पर निशाना साधते हुये उन्होने कहा “ इस आधार पर तो धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास करने वाले अवसरवादी स्वामी प्रसाद मौर्य का निष्कासन किया जाना चाहिए था। पर शायद इतना नैतिक बल समाजवादी नहीं जुटा सकी।”

रिचा ने कहा “समाजवाद के ध्वजवाहक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि महिलाओं की कोई ‘जाति’ नहीं होती। महिलाएं वंचित समाज से सरोकार रखती हैं। परंतु वर्तमान में समाजवादी पार्टी में महिलाओं की ‘जाति’ देखकर उन पर अपशब्द बोलने का ट्रेंड लोहिया जी का समाजवाद तो नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, “अपनी पार्टी के अंदर लोकतंत्र की आवाज उठाने और गलत को गलत कहने के लिये, 1955 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने डॉ लोहिया जी को निष्कासित कर दिया था। आज मेरा निष्कासन उसी लीक की याद दिलाता है, जिस पर मुझे गर्व है।”

गौरतलब है कि सपा ने गुरुवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते रोली तिवारी मिश्रा और रिचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। रिचा सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम से सपा की प्रत्याशी थी। वह पार्टी में प्रवक्ता की जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुकी है।

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