उत्तर प्रदेश

केजीएमयू की डाॅ. महविश अहमद को स्वाध्याय से मिली सफलता

लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की एमबीबीएस टाॅपर डा. महविश अहमद ने स्वाध्याय के बल पर सफलता हासिल की है। केजीएमयू के तीन सबसे प्रतिष्ठित चांसलर, हीवेट और यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल पर डॉ.महविश ने कब्जा जमाया है। केजीएमयू के दीक्षांत समारोह में डाॅ. महविश को सर्वाधिक 13 स्वर्ण पदक प्रदान किये जायेंगे। इसके अलावा दो रजत पदक और दो पुस्तक पुरस्कार भी डॉ.महविश को मिलेंगे।

डा. महविश अहमद ने हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी को बताया कि स्वाध्याय से अच्छे परिणाम आते हैं। आज हमें जो सफलता मिली है, हमने स्वाध्याय पर ज्यादा फोकस किया है। मुरादाबाद निवासी डाॅ. महविश ने बताया कि मेरे पिता डॉ. अबसार अहमद और भाई डॉ. हुमैद अहमद चिकित्सक हैं। उन्हीं की प्रेरणा से इस मुकाम पर पहुंची हूं। आगे डायग्नोस्टिक क्षेत्र में जाकर काम करने का विचार है। केजीएमयू के तीन प्रतिष्ठित मेडल पाकर बहुत खुशी हो रही है, आगे भी इसी तरह लगन और मेहनत से कार्य हो सके। इसके लिए प्रयास जारी रहेगा।

दादा के सपने को किया पूरा

छह गोल्ड मेडल और एक रजत मेडल अपने नाम दर्ज करा चुके डॉ. दीपक बंसल बताते हैं कि मेडल पाने के पीछे मेरे शिक्षक सर्जरी विभाग के प्रो.अभिनव अरुण सोनकर और प्रो.एचएस पहवा का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि घर में वह पहले चिकित्सक हैं। मेरे चिकित्सक बनने का सपना दादा ने देखा था। उनके दादा इस दुनिया में नहीं हैं। उनके सपने को पूरा करने के लिए उन्हीं के मार्गदर्शन पर चला और यह कामयाबी हासिल की।

लोगों को बेहतर इलाज मिले

दो स्वर्ण और चार रजत पदक अपने नाम करने वाली डॉ.नेहा रानी ने कहा कि बचपन में जब यह तय भी नहीं था कि क्या कॅरियर होगा और आगे क्या करना है। घर के लोग या पड़ोस के रहने वाले पूछते कि बड़े होकर क्या बनना चाहती हो तो मैं सबसे यहीं कहती थी कि मैं चिकित्सक बनना चाहती हूं। वह बात आज सच साबित हो गई। आज भी समाज में ऐसे लोग हैं जिन्हें अच्छा इलाज नहीं मिलता है,उनको बेहतर इलाज मिले , इसी पर काम करना है।

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