शुक्रवार के दिन तिजोरी में ऐसे रखें 11 कौड़ियां, होगी धन की बढ़ोतरी

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की उदया तिथि दशमी और शुक्रवार का दिन है। दशमी तिथि सुबह 8 बजकर 39 मिनट तक ही रहेगी, उसके बाद एकादशी तिथि लग जाएगी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विधि-विधानपूर्वक दशावतार व्रत करना फलदायी बताया गया है। कहा जाता है जब मानव अन्याय और अधर्म के दलदल में फंस जाता है, तब भगवान विष्णु उसे सही रास्ता दिखाने हेतु अवतार ग्रहण करते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा कहा गया है।
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान हो जाता है, तब-तब सज्जनों के परित्राण, यानी पुरी तरह से रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए मैं विभिन्न युगों में (माया का आश्रय लेकर) उत्पन्न होता हूँ।
श्री हरि के दस अवतारों के नाम कुछ इस प्रकार हैं : मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि पहले तीन अवतार, मत्स्य, कूर्म और वराह , सत्य युग में अवतरित हुए । नरसिंह, वामन, परशुराम और राम त्रेतायुग में अवतरित हुए । कृष्ण और बुद्ध द्वापर युग में अवतरित हुए। इस समय चल रहा युग कलियुग है और भागवत पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार इस युग के अंत में कल्कि अवतार होगा। इससे अन्याय और अनाचार का अंत होगा और न्याय का शासन होगा जिससे सत्य युग की फिर से स्थापना होगी इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से विष्णु जी का पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।