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रेजीडेंट डॉक्‍टर्स ने डीन मेडसिन को पत्र लिख बयां किया दर्द

लखनऊ। राजधानी स्थित डॉ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की रेजीडेंट डॉक्‍टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने डीन मेडसिन को पत्र लिखकर अपनी समस्‍याएं व मांगे रखी हैं। इस पत्र में उन्‍होंने लिखा कि बीते 4 सितंबर को एसोसिएशन ने पत्र लिखकर ऑनलाइन पोर्टल के माध्‍यम से फीस जमा करवाने का अनुरोध किया था। लेकिन इस बात का कोई संज्ञान नहीं लिया गया और रेजीडेंट डॉक्‍टर्स आज भी डिमांड ड्राफ्ट के माध्‍यम से फीस जमा करने पर मजबूर किए जा रहे हैं। इसके चलते डॉक्‍टरों के साथ-साथ बैंक स्‍टॉफ और फाइनेंस आफिस का स्‍टॉफ भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
इसके अलावा केजीएमयू प्रशासन द्वारा फीस जमा करने के लिए अतिरिक्‍त शुल्‍क भी लिया जा रहा है। कोरोनासंकट काल के इस दौर में जब लगभग सभी संस्‍थानों में डिजिटल प्‍लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया जा रहा है, केजीएमयू में पुराने ढर्रे पर ही काम किया जा रहा है। यह गलत है और यहां भी डिजिटल प्‍लेटफॉर्म को एक्टिव किए जाने की आवश्‍यकता है। इसके अलावा उन्‍होंने यह भी बताया कि गौतम बुद्ध छात्रावास के कुछ ब्‍लॉक को छोडकर कैंपस में कहीं भी एसी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। यह गलत है और कम से कम जो रेजीडेंट डॉक्‍टर अपने खर्चे पर हॉस्‍टल में एसी लगवाना चाहते हैं, उन्‍हें इसकी इजाजत दी जानी चाहिए।
इसके अलावा रेजीडेंट डॉक्‍टर्स की मांग है कि सेंट्रल लाइब्रेरी के बगल में स्‍थित कंप्‍यूटर सेंटर को तत्‍काल प्रभाव से अविलंब शुरू कर दिया जाए। जिससे जूनियर और सीनियर रेजीडेंट अपनी शैक्षिक गतिविधियों जैसे थीसिस लेखन, जर्नल आदि सुचारू रूप से कर सकें और उन्‍हें फेलोशिप के लिए आवेदन करने और आवश्‍यक दस्‍तावेजों का प्रिंट आउट लेने में आसानी हो। इस सुविधा के अभाव में उन्‍हे इन छोटे छोटे कामों के लिए रेजीडेंट डॉक्‍टरों को बाहर जाना पडता है, जिससे कोई भी डॉक्‍टर किसी भी समय कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकता है।

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