प्रो. विनय पाठक के करीबियों की कुंडलियां खंगालने में जुटी एसटीएफ

लखनऊ। यूपी एसटीएफ कानपुर छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के वर्तमान कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार के दर्ज मुकदमें को लेकर जांच कर रही है। उन पर आगरा के भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति रहते वक्त भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा है। अभी तक हुए एसटीएफ की जांच में कई खुलासे हुए हैं और उनसे जुडे़ कई अधिकारियों की कुंडलिया खंगलाना शुरू कर दिया है। ऐसी चर्चा है कि अगर प्रो. पाठक के खिलाफ जांच पूरी गंभीरता से हुई तो न सिर्फ यहां भी बड़े घपलों का खुलासा होगा, बल्कि उनके मददगार कई बड़े नौकरशाहों के नाम भी सामने आएंगे।
भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बावजूद प्रो. पाठक कानपुर विश्व विद्यालय के कुलपति बने हुए हैं जबकि गंभीर आरोप लगने के बाद अब शिक्षक संघ उन्हें पद से हटाने के लिए लामबंद हुए। संघ के नेताओं ने कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को ईमेल के जरिये पत्र भेजा। लेकिन अभी तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यूपी एसटीएफ की रडार पर 201 कॉलेज
एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध 201 कॉलेज एसटीएफ के रडार पर हैं। ये वे कॉलेज हैं, जिनको प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक ने आंगनबाड़ी किट (प्रति किट 50 हजार रुपये) के बदले पाठ्यक्रम और संबद्धता स्थायी कर दी थी। इतना ही नहीं पाठक के बतौर एकेटीयू वीसी रहते हुए उन्होंने कई लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए बहुत से नियमों को ताक पर रख दिया था। अपनों को लाभ पहुंचाया। उनके समय में एकेटीयू में करोड़ों रुपये की एफडी मैच्योरिटी से पहले ही एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर की गई, जिससे राजस्व का नुकसान हुआ। वहीं, प्रो. विनय पाठक ने दागियों व अयोग्य लोगों को मलाईदार पदों पर बैठाकर करोड़ों का वारा-न्यारा किया। प्रोफेसर ने भ्रष्टाचार करके करीबियों एवं रिश्तेदारों के नाम जनपद आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में करोड़ों की संपत्ति बना ली। एकमुश्त में सोने की खरीदारी की।
बोले अधिकारी
एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रो. विनय पाठक के मामले में एसटीएफ की टीमें अपने स्तर से जांच कर रही है। कुछ जानकारियां और सुबूत हाथ लगे हैं, जिसको मीडिया से साझा नहीं किया जा सकता है। तफ्तीश चल रही है, जल्द ही बड़ा खुलासा होगा।