”जीरो बैलेंस” पर दम तोड़ गए गोवंशों के ”बैंक खाते” शुरू, होने से पहले बंद हो गई पारदर्शिता व सरलता की योजना

लखनऊ। गोवंशों के भरण-पोषण में पारदर्शिता और सरलता लाने के लिए पशु पालन विभाग की नई व्यवस्था शुरू होने से पहले दम तोड़ गई है। पिछले वर्ष जुलाई में सभी जिलों में मुख्य विकास अधिकारी व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के ”जीरो बैलेंस” पर खोले गए संयुक्त खाते चालू तक नहीं हो सके।
जिसमें नई व्यवस्था के तहत पशु पालन विभाग को गोशालाओं के लिए बजट भेजना था और इसी संयुक्त खाते से गोशालाओं का संचालन करने वाली ग्राम पंचायतों को सीधे भुगतान होना था। लेकिन, यह योजना खाते खुलवाने के बाद जीरो बैलेंस पर ही बंद कर दी गई। इस कारण आगे की प्रक्रिया के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर खाते नहीं खोले गए।
पहले की तरह बीडीओ के माध्यम से भुगतान
अब पुरानी व्यवस्था के तहत जिलाधिकारी व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के संयुक्त खाते में बजट आता है। जो खंड विकास अधिकारी के खातों में भेजते हैं और ब्लॉक स्तर से ग्राम पंचायतों के खातों में भेजते हैं। इस व्यवस्था में समय लगने के साथ तमाम समस्याएं हैं। उपभोग प्रमाण पत्र, सत्यापन, हस्ताक्षर आदि झंझट के कारण ग्राम पंचायतों को देर-सबेर गोवंशों के भरण-पोषण की धनराशि मिलती है।
प्रदेश की गोशालाओं की स्थिति
कुल गोवंश आश्रय स्थल : 6587
संरक्षित गोवंश : 853600
सुपुर्दगी : 137455
कुल संरक्षित गोवंश : 991055
नोट : यह विभागीय आंकड़े करीब दो माह पुराने हैं।
योजना राज्य सरकार की है। जिसमें केंद्रांश नहीं है। इसलिए राज्य सरकार ही भुगतान करती है। खाते खोले गए थे, जो केंद्रांश न होने के कारण संचालित नहीं हो सके। आगे विचार किया जाएगा …डॉ. राजेश सैनी, अपर निदेशक, गोधन।